प्रथम देव गणेश। विध्नहर्ता, मंगलमूर्ति गणेश। हिंदू धर्म में हम हर विध्न-बाधा को दूर कर मंगल करने वाले देव गणेश की पूजा हम सबसे पहले करते हैं। वैसे में भगवान गणेश के देश भर में कई बड़े और प्रतिष्ठित मंदिर हैं, लेकिन महाराष्ट्र में पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर की भक्तों के बीच अपनी एक अलग मान्यता और पहचान है। हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं में श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर को लेकर काफी आस्था है। यहां देश दुनिया से हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।
पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर को इच्छापूर्ति गणेश के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। लोगों का कहना है कि यहां भगवान गणेश के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि गणपति बप्पा श्रद्धालुओं के हर इच्छा की पूर्ति करते हैं। लोगों का तो यहां तक तक कहना है कि अगर साफ मन से कोई चीज मांगी जाए तो भगवान गणेश उसे तीस दिन के अंदर पूरा कर देते हैं।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर बहुत और दिव्य है। यहां आते ही शरीर के अंदर एक अलग ही ऊर्जा का संचार होने लगता है। मंदिर प्रांगण में पहुंचते ही लगता है जैसे सारे दुख-दर्द दूर हो गए हो। मन में पॉजिटिव फील होने लगता है। आप खुद को एल अलग ही दुनिया में महसूस करने लगते हैं। पुणे के बुधवार पेठ में छत्रपति शिवाजी महाराज रोड पर स्थित यह तीन मंजिला मंदिर बहुत ही भव्य है।
मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर संगमरमर से बना एक बड़ा सा हॉल है। इस हॉल में भगवान गणेश की 2.2 मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी बड़ी सी दिव्य मूर्ति है। बताया जाता है कि गणपति बप्पा का श्रृंगार करीब 40 किलो सोने से किया गया है। इसमें भगवान का मुकुट 9 किलो से ज्यादा सोने से बना बना है और भगवान की प्रतिमा के सिर्फ चेहरे पर 8 किलो सोने का काम किया गया है। श्रृंगार के बाद भगवान के दिव्य रूप को देखकर मन धन्य हो जाता है।
इस मंदिर का निर्माण करीब 130 साल पहले दगडूशेठ हलवाई ने कराया था। लोगों का कहना है कि दगडूशेठ हलवाई के बेटे की मौत सन 1892 में प्लेग से हो गई। इसके बाद से वे शोक के कारण देश-दुनिया से कटकर रहने लगे। बाद में एक गुरु ने उन्हें मन की शांति के लिए भगवान गणेश का मंदिर बनाने के लिए कहा। जिसके बाद उन्होंने 1893 में इस मंदिर का निर्माण कराया। तभी से लोग इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाई के नाम से पुकारने लगे।
दगडूशेठ हलवाई ने उस समय एक छोटा सा मंदिर बनवाया था। आजादी से पहले आयोजित होने वाले गणपति उत्सव के दौरान इस मंदिर ने देश के लोगों में स्वतंत्रता का अलख जगाने का काम किया। समय के साथ इस मंदिर का विस्तार भी होता रहा और आज यह भव्य और दिव्य मंदिर पुणे शहर का एक लैंडमार्क बन गया है। पुणे आने वाले सभी पर्यटकों और श्रद्धालुओं की लिस्ट में इस मंदिर का नाम पहले नंबर पर होता है।
पुणे पहुंचने पर हमलोगों का भी पहला पड़ाव श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर ही था। सुबह फ्रेश होते ही सबसे पहले मंदिर के लिए रवाना हो गया। आमतौर पर मंदिर में दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी होती है लेकिन सौभाग्य से उस दिन श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ नहीं थी। गणपति बप्पा का आराम से दिव्य दर्शन हो गए। हमलोगों ने वहां 250 रुपये की पर्ची कटवा कर अभिषेक पूजा भी करावाया।
यहां भीड़ होने पर आराम से दर्शन के लिए आप 100 रुपये की पर्ची कटाकर वीआईपी दर्शन भी कर सकते हैं। अगर आपको पूजा-पाठ में विशेष श्रद्धा है तो यहां 250 रुपये की पर्ची लेकर अभिषेक जरूर कराइएगा। गणपति बप्पा के सामने बैठकर अभिषेक करने का अवसर सौभाग्य से मिलता है। पूजा के लिए सारी व्यवस्था मंदिर की ओर से रहती है।
व्यस्त छत्रपति शिवाजी महाराज रोड के किनारे होने के कारण अगर आप भीड़भाड़ को देखकर मंदिर के भीतर जाने से बचना चाहते हैं तो सड़क किनारे खड़े होकर भी शीशे से गणपति बप्पा का दर्शन कर सकते हैं। यहां आसपास रहने वाले या दैनिक यात्री मंदिर के पास के गुजरते वक्त बाहर से ही दर्शन कर अपने काम पर जाते हैं।
शनिवार-रविवार और छुट्टी के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। गणेश चतुर्थी के साथ गणेश उत्सव के दौरान तो दर्शन के लिए लिए आपको घंटों इंतजार करने पड़ सकते हैं। इस दौरान मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जाता है। गणेश उत्सव के दौरान मंदिर की सजावट देखते ही बनती है। फूलों के साथ इलेक्ट्रॉनिक साजसज्जा देखने लायक होती है।
हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा से लेकर रामनवमी तक यानी चैती नवरात्र के समय भी यहां विशेष पूजा अर्चना होती है। हर साल इस अवसर पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जिससे देश-दुनिया का नामी-गिरामी कलाकार शामिल होते हैं। गुड़ी पड़वा को इस मंदिर की स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर देश के सबसे संपन्न मंदिरों में से एक है। मंदिर के कामकाज को देखने के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया है- श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर ट्रस्ट। इस श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर ट्रस्ट की ओर से कई धर्मार्थ और परोपकारी कार्य किए जाते हैं। गरीब-अनाथ बच्चों आवासीय और शैक्षिक सुविधाएं देने के साथ वृद्धाश्रम भी चलाए जाते हैं।
मंदिर खुलने का समय
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से रात 10.30 बजे तक खुला रहता है। गणेश उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह चौबीसों घंटे खुला रहता है। मंदिर परिसर के अंदर फोन या कैमरा से फोटो लेने की मनाही है। भीड़भाड़ की स्थिति में वीआईपी दर्शन के लिए 100 रुपये की पर्ची लेकर दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे-
पुणे देश के सभी बड़े शहरों से रेल, सड़क और वायु मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी कोने से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर पुणे रेलवे स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर और एयरपोर्ट से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर व्यस्त रोड पर स्थित होने के कारण अगर आप अपनी गाड़ी से आते हैं तो महात्मा फुले मार्केट के पार्किंग में गाड़ी को पार्क कर यहां पैदल आ सकते हैं।
कब पहुंचे-
वैसे तो आप मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी दिन पहुंच सकते हैं लेकिन पुणे में गर्मी के समय आने से बचना चाहिए। यहां आने के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर से फरवरी के बीच के होता है। इस समय आप यहां के सुंदर मौसम के साथ यहां के सभी पर्यटक स्थलों का बढ़िया से आनंद ले सकेंगे।
आसपास के दर्शनीय स्थल
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। आप मंदिर से पैदल चलकर पुणे के सबसे खास पर्यटक स्थलों में से एक शनिवारवाडा के साथ विश्रामबाग वाडा, लाल महल, महादजी शिंदे छत्री, राजा दिनकर केलकर संग्रहालय और तुलसी बाग मार्केट देख सकते हैं। पुणे में इस स्थलों को घूमने के साथ आप यहां खरीदारी भी कर सकते हैं।
खानपान-
पुणे में आप मराठी थाली के अलावा वडापाव और मिशेल पाव का आनंद ले सकते हैं। वैसे पुणे मेट्रो शहर होने के कारण यहां आप सभी तरह के खाने का आनंद ले सकते हैं। लेकिन कहीं भी आते-जाते स्ट्रीट फूड के रूप में सस्ता-सुंदर-स्वादिष्ट वडा पाव को चखना तो मस्ट हो जाता है।
ठहरने की व्यवस्था
पुणे के एक बड़ा शहर होने के कारण यहां रहने के लिए भी हर तरह के इंतजाम हैं। आप पाकेट के हिसाब से बजट से लेकर लग्जरी सभी तरह के होटल में ठहर सकते हैं।
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-हितेन्द्र गुप्ता
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